Wednesday, May 23, 2012

बातें

मम्मी ने कहा, बेटा पढ़ लो ज्ञान बढेगा
अव्वल नंबर लाओगी तो
मान और सम्मान बढेगा
आज करोगी थोड़ी मेहनत
इसका आगे फल पाओगी
अभी पडेगा थोडा घिसना
तरक्की करते जाओगी.
पापा ने कहा, बेटा पढना अपनी जगह है
लेकिन वह सब कुछ नहीं दिला सकता
अपना लिखना अपना सोचना
अलग करने की इच्छा रखना
मेहनत करने की क्षमता होना
कठिन परिस्थितियों से लड़ने का हौसला होना
ये बातें हैं जो तुम्हे आगे ले कर जायेंगी.
दोनों की बातें मैंने सुनी
सोचा बातों को समझ गयी
एक अगर कुछ कहेगा
तो दूसरे को काटना जरूरी है
हर बात में हाँ मिलाना
यह मेरी मजबूरी है.
सुना, सोचा, मजाक बनाया
और बातों को भूल गयी.
जब ठोकर खायी
और पलट कर देखा
तब जाकर समझ में आया
मम्मी-पापा की वो सीखें
कितनी सही थी
मैंने जिन बातों की अनसुनी कर दी
केवल कहने का ढंग अलग था
उन्होंने बात कही थी एक ही.

2 comments:

Dr. Dhanakar Thakur said...

मम्मी ने कहा, बेटी
पढ़ लो ज्ञान बढेगा
अव्वल नंबर लाओगी तो
मान और सम्मान बढेगा
आज करोगी थोड़ी मेहनत
इसका फल आगे पाओगी
अभी पडेगा थोडा घिसना
तरक्की करते जाओगी.
पापा ने कहा, बेटी
पढना अपनी जगह है
लेकिन दिला नहीं सकता
वह सब कुछ
अपना लिखना अपना सोचना
अलग करने की इच्छा रखना
मेहनत करने की क्षमता होना
कठिन परिस्थितियों से लड़ने
का हौसला होना जैसी बातें हैं
जो तुम्हे आगे ले जायेंगी.
मैंने सुनी बातें दोनों की
लगा बातों को समझ गयी
एक अगर कुछ कहेगा
दूसरे को काटना जरूरी है
हर बात में हाँ मिलाना
मेरी क्या मजबूरी है.
सुना, सोचा, मजाक बनाया
और बातों को मैं भूल गयी.
जब ठोकर जीवन में खायी
तब जाकर समझी
मम्मी-पापा की सीखें
कितनी सही थी
जिनकी अनसुनी कर दी थी
मैंने वो बातें कितनी थी सही
केवल कहने का ढंग अलग था
बात उन्होंने कही एक थी .

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

आपकी बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है. जब हम युवा होते हैं, तब हर अच्छी बात केवल उपदेश लगती हैं. मगर ठोकर लगती है तब समझ में आती हैं लेकिन तब तक हम अपना काफी सारा समय खराब कर चुके होते हैं. जो कभी वापिस नहीं मिलता है. लेकिन इस का हमें एक फायदा मिलता है कि हम ठोकर लगने से सम्भल कर चलना भी सिखने लगते हैं.